सड़क हादसे में घायल का इलाज करने से मना नहीं कर पाएंगे MP के अस्पताल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई गाइडलाइन को मंजूरी दे दी है
भोपाल। अब सड़क हादसे में घायल किसी शख्स का इलाज करने से मध्यप्रदेश समेत देशभर के अस्पताल मना नहीं कर सकेंगे। चाहे सरकार हो या निजी अस्पताल, ऐसे घायलों को बिना किसी इलाज खर्च के अस्पताल को इलाज देना होगा। दरअसल तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सड़क हादसों में घायलों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराने और ऐसे घायलों की मदद करने वालों को कानूनी पूछताछ से मुक्त करने से संबंधित केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई गाइडलाइन को मंजूरी दे दी।
न्यायमूर्ति वी गोपालगौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने केंद्र को ये भी आदेश दिया कि वो इस गाइडलाइन का बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार कराए, ताकि लोग बिना किसी डर के घायलों की मदद के लिए आगे आ सकें।
हादसों की हकीकत - सेव लाइफ फाउंडेशन के सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी लोग मदद के लिए आगे नहीं आते।- दुर्घटना के पहले घंटे में पीडि़तों को अस्पताल ले आने पर आधे लोग बच सकते हैं।- देश में हर साल सड़क हादसों में 1.37 लाख लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।- विधि आयोग की 201वीं रिपोर्ट में कहा गया था कि डॉक्टरों के मुताबिक 50 फीसदी मामले में दुर्घटना पीडि़तों की जान बचाई जा सकती है अगर उन्हें एक घंटे के भीतर अस्पताल में दाखिल करा दिया जाए।
ये केंद्र की गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश...0कोई दुर्घटना होने पर दुर्घटना का प्रत्यक्षदर्शी या कोई भी व्यक्ति दुर्घटना में घायल व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल ले जा सकता है। अस्पताल में घायल व्यक्ति को एडमिट कराने के तुरंत बाद उसे अपना पता लिखाकर वहां से जाने की अनुमति दी जाएगी और उस व्यक्ति से कोई भी सवाल नहीं पूछे जाएंगे।
0 इसके साथ-साथ अन्य नागरिकों को इस तरह की मदद करने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार निर्देशानुसार उस व्यक्ति को पुरस्कृत किया जाएगा।
0 वह व्यक्ति किसी भी नागरिक और आपराधिक देयता के लिए उत्तरदायी नहीं माना जाएगा।
0 कोई भी व्यक्ति अगर दुर्घटना में घायल व्यक्ति की जानकारी देने के लिए पुलिस या आपातकालीन सेवाओं को सूचित करने के लिए फोन कॉल करता है, तो उसे उसका नाम या उसकी व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
0 मदद करने वाले व्यक्ति का नाम और कांटेक्ट डिटेल्स मेडिको लीगल केस (एमएलसी) अस्पतालों द्वारा दिए गए प्रपत्र सहित स्वैच्छिक और वैकल्पिक बनाए जाएंगे।
0 अगर कोई सरकारी कर्मचारी मदद करने वाले का नाम और उसकी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करता है तो उसके खिलाफ सरकार द्वारा एक्शन लिया जाएगा।
0 अगर मदद करने वाला ये कहता है कि वह दुर्घटना का प्रत्यक्षदर्शी है और मामले की जांच में सहयोग देना चाहता है तो उस व्यक्ति से पुलिस सिर्फ एक बार पूछताछ कर सकती है और राज्य सरकार एक ऐसा सिस्टम बनाएगी जिससे सुनिश्चित हो कि उस व्यक्ति को किसी भी तरह से परेशान या भयभीत ना किया जाए।
0 मदद करने वाले व्यक्ति या प्रत्यक्षदर्शी से पूछताछ के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का भी इस्तमाल किया जा सकता है जिससे कि उन्हें उत्पीड़न या किसी असुविधा का सामना ना करना पड़े।
0 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एक गाइडलाइन जारी करेगा जिसमें ये लिखा होगा कि अगर कोई सार्वजनिक या निजी अस्पताल घायल व्यक्ति को एडमिट करने के लिए या उसके पंजीकरण करने के लिए मदद करने वाले से पैसा नहीं मांग सकता। वह मदद करने वाले से तभी पैसा मांग सकता है जब मदद करने वाला घायल व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य या फिर रिश्तेदार हो। घायल व्यक्ति को अस्पताल लाते ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाना चाहिए।
0 रोड एक्सीडेंट की आपातकालीन स्थति में अगर डॉक्टर इलाज करने में लापरवाही करता है तो इसे प्रोफेशनल मिसकंडक्ट माना जाएगा और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
0 अगर मदद करने वाला व्यक्ति अगर इच्छा जताता है तो अस्पताल उसे एक अभिस्वीकृति प्रदान की जाएगी जिसमें समय बताते हुए इस बात की पुष्टि होगी घायल व्यक्ति को अस्पताल लाया गया। यह अभिस्वीकृति राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए स्टैंडर्ड फॉरमैट में तैयार की जाएगी।
0 सभी सार्वजनिक और सरकारी अस्पतालों को यह गाइडलाईंस तुरंत लागू करनी होगी और अगर इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन का मामला सामने आया तो संबंधित अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी।
0 मदद करने वाले व्यक्ति को पूरा सम्मान दिया जाएगा। उसके साथ लिंग, धर्म, राष्ट्रीयता, जाति या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
0 कोई भी पुलिस अधिकारी घायल व्यक्ति की मदद करने वाले पर मामले में गवाह बनने के लिए ज़ोर नहीं डाल सकता है। यह उस व्यक्ति का खुद का निर्णय होगा कि वह गवाह बनना चाहता है या नहीं।
0 अगर वह व्यक्ति गवाह बनने के लिए तैयार हो जाता है तो जांच करने वाला अधिकारी उससे एक बार पूछताछ कर सकता है वो भी उस व्यक्ति की सुविधाजनक जगह पर जैसे कि उसका घर या कार्यस्थल। पूछताछ करने के लिए अधिकारी को सादे कपड़ों में ही उस जगह जानना होगा। अगर वह व्यक्ति पुलिस स्टेशन आने को तैयार होता है तभी उसे वहां बुलाया जा सकता है।
0 अगर जांच अधिकारी उस व्यक्ति की चुनी गई जगह और समय पर जांच ना करके उसे पुलिस स्टेशन बुलाता है तो उस अधिकारी को ऐसा करने की वजह लिखित में देनी होगी।
0 अगर वह व्यक्ति जांच अधिकारी या वहां की स्थानीय भाषा ना बोलकर कोई और भाषा बोलता है तो जांच अधिकारी को अपनी पूछताछ के लिए एक ट्रांस्लेटर का इंतज़ाम करना होगा।
0 अगर वह व्यक्ति खुद को प्रत्यक्षदर्शी बताता है तो उसे एक हलफनामे पर अपने सबूत देने के लिए अनुमति दी जाएगी।