जयपुर। हिंदी प्रचार- प्रसार संस्थान द्वारा मनाये जा रहे हिंदी पखवाड़े का ई-समापन समारोह आयोजित किया गया।
रेनू शब्दमुखर के शानदार संयोजन व संचालन में ढाई घण्टे चले इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में हिंदी प्रचार- प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला ने संस्थान के परिचय और योगदान से अवगत कराते हुए अपना प्रभावशाली उदबोधन देते हुए कहा कि हिंदी हमारे राष्ट्र की आत्मा है।
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सयुंक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में संबोधन देकर पूरे विश्व में हिंदी का जो मान बढाया है वो अमूल्य है।मोदी जी ने हिंदी को बहुत दूर-दूर तक पहुंचाकर हिंदी की जो पताका पूरी दुनिया में फहराई है,उनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी रास्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय,अमरकंटक के कुलपति प्रो.श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान की पहुंच देश ही नहीं देश के बाहर भी है।मैंने 6 वर्ष नागरी प्रचारिणी सभा के महासचिव के पद पर काम किया है और यह अनुभव किया है कि हिंदी विचार, व्यवहार, बाजार और व्यवहार की भाषा है। यदि स्वतंत्रता आंदोलन के समय जितना स्वातंत्र्योत्तर युग में भी हिंदी का प्रचार होता तो आज एक नया भारत होता। उन्होंने कहा कि चिंतन, मनन,ध्यान,ज्ञान, अनुसंधान हिंदी के माध्यम से ही संभव है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध लेखक एवं कथाकार डॉ.दामोदर खडसे ने कहा जहाँ आज अनौपचारिक कामों में हिंदी जितनी आगे है वहीं औपचारिक कार्यों में और दफ्तरों की भाषा में हिंदी को दबा दिया गया है, जब किसी भाषा को दबाया जाता है तब भाषा नहीं मरती बल्कि विचार मरता है। हमें हिंदी को मानसिक रुप से अपनाना होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय गांधी अध्ययन संस्थान,जयपुर की अध्यक्ष डॉ.शीला राय रही। उन्होंने कहा कि मैंने अंग्रेजी में पढ़ाई की लेकिन हिंदी में बोलना मेरे लिए गौरव महसूस कराता है।उन्होंने कहा कि हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान वह उदाहरण है जिससे हमारे भाषा क्षेत्र के भविष्य के सपने साकार होते नजर आ रहे हैं। हमें तकनीकी में हिंदी अपनानी चाहिए और उन्होंने बताया कि हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।वहीं विशिष्ट अतिथि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर के हिंदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश कौशल थी उन्होंने कहा की बाजार और व्यवहार की भाषा अधिक जीवित रहेगी अतः हमें हिंदी को बाजार की भाषा बनाना होगा।
भाषा संस्कृति की भाँति बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। हमें हिंदी के प्रचार प्रसार को आगे बढ़ाना होगा और इसे राष्ट्रभाषा बनाना होगा क्योंकि अपनी राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा होता है।उन्होंने सभी को हिंदी के प्रचार- प्रसार और हिंदी को अपने व्यवहार में अपनाने हेतु प्रेरित किया।इसके बाद सह आचार्य एवं भाषा विभाग ,राजस्थान सरकार की पूर्व उपनिदेशक ममता शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।समारोह में डॉ केशव बडाया,कुलाधिपति,छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय,मुम्बई, अविनाश शर्मा कुलसचिव हिंदी प्रचार-प्रसार संस्थान,संपर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा,अक्षांश भारद्वाज व जाने माने साहित्यकारों ने
शिरकत की।