Wednesday, September 30, 2020

आज है 2 अक्टूबर का दिन | विजयलक्ष्मी शुक्ला | गांधी जयंती पर लेख

आज है 2 अक्टूबर का दिन....
आज का दिन बड़ा महान है , आज के दिन दो फूल खिले थे, जिनसे हिंदुस्तान महक उठा था , जी हां आज ही के दिन भारत के दो ऐसे महान सपूतों का जन्मदिन है जिन्होंने अपने महान कर्मों से पूरे हिंदुस्तान को अपना कर्जदार बना लिया। हम बात कर रहे हैं बापू महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की बापू का जन्मदिन देशभर में गांधी जयंती के रूप में और दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल।
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
हां वह कमाल ही तो था , जिसने बिना शस्त्र उठाए विश्व की सबसे बड़ी ताकत को झुकने पर मजबूर कर दिया । भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया,  और सदियों से दासता की जंजीरों में जकड़े देश को आजाद कर दिया । हां यह कमाल ही तो था कि दुनिया में एक ऐसा महात्मा था , जो पाप से घृणा करता था पापी से नहीं, जो लक्ष्य और उसे प्राप्त करने के साधन दोनों के पवित्र होने की वकालत करता था , जो एक गाल पर थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे कर देता था।  जिसके भजन में ईश्वर थे,तो अल्लाह भी।
क्या आप जानते हैं मार्टिन लूथर किंग,  नेल्सन मंडेला , अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीव जॉब्स जैसी विश्व की दिग्गज हस्तियों में क्या समानता है ? 
यह सभी लोग मोहनदास करमचंद गांधी को फॉलो करते थे क्योंकि वह आम से दिखने वाला खास व्यक्ति बहुत खास था इतना खास था कि आइंस्टीन ने यहां तक कह दिया कि आने वाली पीढ़ियां मुश्किल से यकीन कर पाएंगे कि कभी मांस और रक्त से पूर्व कोई ऐसा भी इंसान था जो इस धरती पर चला था।
आज से 150 साल पहले 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गांधी और पुतलीबाई के घर उनकी सबसे छोटी संतान मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। देश की स्वतंत्रता में बापू के अहिंसक संघर्ष का महत्वपूर्ण योगदान है तो वहीं भारत को जय जवान जय किसान का नारा देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी ने इस योगदान को जाया नहीं होने दिया।  उन्होंने लोगों को यह बताया कि अगर आप चाहे तो कुछ भी कर सकते हैं बशर्ते आपकी नियत अच्छी होनी चाहिए।  लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।  वह गांधी जी के विचारों और उनकी जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे। उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े।  लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे,  लेकिन उन्होंने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे,  उनके नाम के साथ जुड़ा शास्त्री काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है।  प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 2 साल तक काम किया।  उनका प्रधानमंत्री नेतृत्व काल 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक रहा। 
साउथ अफ्रीका में रहकर ही गांधी जी ने अपने द्वारा स्थापित किए गए फिनिक्स और टॉलस्टॉय फॉर में सत्याग्रह को एक शख्स के रूप में विकसित किया।  गांधी जी द्वारा साउथ अफ्रीका में बिताया समय कितना महत्वपूर्ण था , यह इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने एक भाषण में कहा था :
I was born in India but was made in South Africa.
गांधी जी से केवल भारतीय ही नहीं प्रभावित है, बल्कि विदेश में भी गांधीजी के आदर्शों को माना जाता रहा है। साबरमती किस संत ने अपने अहिंसा वादियों नीतियों से यह जता दिया कि इंसान अगर आप पर भरोसा कर ले तो जीवन की हर कठिनाइयों का सामना वह कर सकता है । बापू के आदर्शो पर चलने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी ने उस समय अपना नाम सुनहरे शब्दों में अंकित कर लिया जब देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा हुआ था। उस समय देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसलिए शास्त्री जी ने सभी लोगों से हफ्ते के 1 दिन व्रत रखने की अपील की थी। आज सह शरीर शास्त्री जी हमारे बीच ना सही पर उनके आदर्श हमारे बीच में जिंदा है वह ना होकर भी हमारे बीच मौजूद हैं। 
महात्मा गांधी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक भरोसा और विश्वास है , जो हर इंसान के अंदर मौजूद हैं और वह एक वचन है जो हर कसम  मैं  उनके साथ होते हैं , तो वही शास्त्री जी एक शपथ हैं जो अपने कर्तव्यों का एहसास दिलाते हैं , कि हम कुछ भी कर सकते हैं इसलिए यह दोनों हमसे तो कभी अलग हो ही नहीं सकते । यह दोनों यही है , हमारे पास , हमारे साथ , हमारे बीच । 
जय हिंद जय भारत
नाम -  स्टूडेंट टीचर विजयलक्ष्मी शुक्ला
पी. वी. डी. टी. कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वूमेन मुंबई

महात्मा हमारे जीवन की आत्मा | रेनू शब्द मुखर | गांधी जयंती लेख

महात्मा गाँधी जी का व्यक्तित्व बहुमुखी था और उनके विचारों का केन्द्रीय बिन्दु " सत्य और अहिंसा रहा हैं। महात्मा  गाँधी जी अहिंसा को एक व्यापक वस्तु मानते थे। 
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जिन विचारों को समाज के लिए दिए उनको अपने जीवन में पूरी तरह से पालन किया।उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नही था।यही उनकी सफलता का मूलमंत्र था।
सत्य और अहिंसा के आदर्श गांधी के संपूर्ण दर्शन को रेखांकित करते हैं तथा यह आज भी मानव जाति के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज और अधिक प्रासंगिक हो गई हैं जबकि लोग अत्याधिक लालच, व्यापक स्तर पर हिंसा और भागदौड़ भरी जीवन शैली का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
सत्य और अहिंसा अन्योन्याश्रित है।अहिंसा कायरता का आवरण नही है यह वीरों का आभूषण है।गांधीवादी अहिंसा में मनसा, वाचा व कर्मणा की हिंसा नही है।अगर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम देखे तो पाएंगे कि लोग किसी को न मारने को ही अहिंसा समझते है जबकि ये आंशिक रूप है।
जबकि आज जो लड़ाई दंगे फसाद चाहे सामान्य हो या विस्तृत तौर पर सबके मूल में कही न कही कुविचार, द्वेष उतावली,गलत बोलना,लालच विद्यमान होना,कटु भाषण, कर्म द्वारा गलत आचरण, किसी का बुरा चाहना ये सब हिंसा विद्यमान है।यदि मानव अपने जीवन काल में मनसा, वाचा और कर्मणा से अहिंसा को अपना ले तो विश्वबंधुत्व की भावना प्रबल होगी। 
आज सारा देश पूज्य गाँधीजी का स्मरण करता है। केवल कोरे स्मरण-मात्र से उनको श्रद्धांजलि अर्पित नहीं हो सकती,बल्कि सच्ची श्रद्धांजलि तो वह होगी,जब समग्र राष्ट्र उनके चिन्तन को तहेदिल से जीवन-व्यवहार में लाये।
आइए आज से ही मैं और आप  सब सच्चे अर्थों में अहिंसा के प्रवर्तक,पुजारी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि दे।कहा गया है न सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नही कहते।
लेखक : रेनू शब्दमुखर
(ज्ञानविहार स्कूल) जयपुर राजस्थान

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