महू। अदिति बिहार फेज-१, पीथमपुर में ...कवि विनोद सिंह गुर्जर द्वारा हिंदी की महिमा का गान करते हुये अपनी श्रेष्ठ रचना हमारी जान है हिंदी हमारी शान है हिंदी ..वहीं हास्य कवि भगवान दास तरंग ने हास्य रस की वर्षा करते हुये ..मैं तुम्हारी मांग का सिंदूर हूँ ..सुनाकर श्रोताओं को देर तक ठहाके लगाने पर विवश बनाये रखा।
कार्यक्रम संयोजक अनिरूद्ध कुशवाह ने ..हिंदी जान मेरी मां की परछांई समझता हूँ ..सुंदर स्वर में सुनाकर सभी का मन मोह लिया । कवि पवन जोशी ने श्रंगार पर गीत पढ़ते हुये ..थोड़ा सा तो सब्र दिखा लो अपना भी दिन आऐगा...एवं कवि रविन्द्र जी पंवार ने विरह शिल्प रचना सुनाते हुये ..कहाँ तुम चले गए मुझको छोड़कर ...सुनाई इसी तारतम्य के अंत में कार्यक्रम के सूत्रधार, संचालक राजेश शर्मा ने अपने शायराना अंदाज में बर्फ पिघली तो तबाही होगी, गरम सांसे काबू में रहे तो अच्छा है सुनाकर खूब दाद बटोरी।
हिंदी दिवस के इस पर्व पर स्थानीय श्रोताओं द्वारा सभी कवियों का अभिवादन किया गया। कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त अनिरूद्ध कुशवाह द्वारा किया गया।
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