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शीर्षक- मेरे शब्द... कुछ कहे ....कुछ अनकहे।
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तुम्हें जीना तो बहुत चाहा जिंदगी
तू मुझे अपने आपसे सिखाती रही
फिर भी मैं तुम्हें लेकर जिऊ भी कितना तुम्हें ,
तू उतने ही मेरे आदर्श पद सहेली बनी ।
एक ख्वाब थी मन में समेटी ,
शायद मैं उस छोर का एक किनारा हूं ।
ले जाए कोई मुझे ऐसी जगह कहीं।
जहा विश्वास के पथ का एक एहसास बनूं ।
मुझे पढ़ाया तूने जीवन का संघर्ष
दुनिया बताई जीने की कला ।
और ज्ञान के पथ को लेकर मुझे प्रकाशमय दृष्टिकोण बताया ,
सोचती हूं अभी मै ,
उसी छोर का शायद हिस्सा हूं ।
जहां चार दीवारों में केवल ज्ञान ही नहीं ...
भविष्य भी पढ़ाई जाती है...
उसी पद पर लेकर मैं ,
किसी आशय का किस्सा बनु ।
किताबों की बातें तो ज्ञान बनकर कहीं भी लहराया करती है ।
मैं जुगनू बनू उस जीवन की
जो छात्र के सोच को उजागर करती हैं ।
जिंदगी को प्रकाशीत करने मे प्रयास करु
अंधेरे से भी बिना डरे , बिना रुके आगे बढू।
मैं प्रभा बनु उस तिमिर की।
जो जिंदगी को रौशन करती है ।
और हाथ रखु उसी कंधे पर
जो लड़ने की उम्मीद पैदा अंधियारा से करती हैं ।
मैं हौसला बनु एक लड़ाई के उम्मीद की ।
जीत की एक नया इतिहास रचू ...।
हा मैं भी किसी स्कूल की एक आर्दश शिक्षिका बनू....।
अहंकार ना छूये मुझे
मगर गर्व की एक प्रतीक बनू..... ।-2
भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है हमारा ,
भीड़ जिसके लिए खड़ी हो वो मै बनु ।
मरने के बाद भी एहसास से हर कोई मेरा भी नाम ले ।
थी एक शिक्षिका ऐसी भी ये सोचकर हमे याद करे ,
मैं किसी कहानी का किस्सा नहीं ,
मैं किसी की जीवन का हिस्सा बनू।
कोई किसी भाषा के बंधन में ना जकडे मुझे ।
मै केवल राष्ट्र सेवा का हिस्सा बनूं ।-2
जिसमे हैं मैने ख्वाब बुने ,
जिसमे जुड़ी मेरी हर आशा है ,
जिससे है मुझे पहचान मिली ,
वो मेरी हिंदी भाषा हैं ।
Name:- Manisha Kumari
B.Ed SY (2019-2021)
P.V.D.T.College Of Education For Women .
( S.N.D.T.W.U.)
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For more information call - 8120203050
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